नई दिल्ली/मुंबई : इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने बुधवार को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। इसके तहत देशभर के 3 लाख से अधिक डॉक्टर अस्पतालों की ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे। असोसिएशन का यह विरोध नेशनल मेडिकल काउन्सिल बिल 2019 को लेकर है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बिल मेडिकल क्षेत्र के लिए उचित नहीं है और इससे कई तरह की चुनौतियां सामने आएंगी।
उन्होंने कहा कि यह हड़ताल सरकार को बिल की खामियों के बारे में बताने के लिए है। आईएमए के नैशनल अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि इससे सिर्फ नीम-हकीमी को वैधता मिलेगी और लोगों की जानें खतरे में पड़ जाएंगीं। इसीलिए हम बिल का विरोध करते हैं। बता दें कि यह बिल मेडिकल काउंसिल की जगह लेगा और इसमें कई बदलाव किए गए हैं।
देशव्यापी हड़ताल को देखते हुए महाराष्ट्र के 44 हजार डॉक्टर भी हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में हड़ताल के कारण राज्य में मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि आईएमए ने कहा कि हड़ताल के दौरान केवल गैरजरूरी मेडिकल सेवाओं को अटेंड नहीं किया जाएगा, जबकि हर तरह की इमर्जेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। आईएमए से मिली जानकारी के अनुसार, विरोध के मद्देनजर बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक सदस्य डॉक्टर ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे।
क्या है बिल
भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी। बिल के पास होने के बाद अब MBBS पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा। अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते हैं। वहीं, एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।